शेयर बाजार में नुकसान से बचने के टिप्स | 15 Best Share Market Tips in Hindi

शेयर बाजार मे आपको पता ही होगा या कहीं न कहीं सुने जरूर होगें कि

शेयर बाज़ार में आने वाले 80% से अधिक निवेशक सिर्फ़ नुक़सान करते हैं, जबकि केवल 20% लोग ही पैसा कमा पाते हैं।

ये सच भी है और चिंताजनक भी । Covid के दोरान , जब बहुत लोगों के काम धंधे बंद हो गए थे तब उन्होंने उन्होंने बिना सोचे समझे स्टॉक मार्केट मे पैसे लगाए और अपना सारा सैविंग गंवा दिए। अगर आप भी ऐसी गलती नहीं करना चाहते है और शेयर बाज़ार में नुक़सान को कम करना, साथ ही मुनाफ़े को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको अपनी रणनीति में सुधार करना होगा।अक्सर नए निवेशक भीड़ के पीछे चलते हुए बिना सोचे समझे शेयर बाज़ार में पैसा लगा देते हैं, जिससे उन्हें नुक़सान होता है।लेकिन अगर आप कंपनियों पर गहराई से रिसर्च करके निवेश करें, तो मुझे पूरा भरोसा है कि आप शेयर बाज़ार में अपने नुक़सान को कम कर सकते है। हलाकी शेयर बाजार में निवेश काफी जोखिम लेकर आता है, लेकिन कुछ सावधानियों के साथ इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस लेख में हम शेयर बाजार में नुकसान से बचने के लिए 11 महत्वपूर्ण टिप्स पर चर्चा करेंगे।

1. सही डिमैट अकाउंट का चुनाव :

डिमैट अकाउंट खोलते समय कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। सबसे पहले, आपको एक ऐसे ब्रोकरेज फ़र्म का चुनाव करना चाहिए जो भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा पंजीकृत हो। इसके अलावा, ब्रोकरेज फ़र्म की प्रतिष्ठा और ग्राहक सेवा भी महत्वपूर्ण है, इसके लिए आप ब्रोकरेज हाउस की पिछले कुछ वर्षों की ट्रैक रिकॉर्ड और रिव्यूज़ देख सकते हैं। इसके बाद, ब्रोकरेज फीस और अन्य चार्जेज की तुलना करनी चाहिए। कम फीस वाले ब्रोकर का चुनाव करना बेहतर होगा, जो रेगुलर ब्रोकरेज फार्म आपको कभी नहीं देगी । इसलिए आपको डिस्काउंट ब्रोकेरेज फार्म की और जाना होगा जैसे Zerodha या Upstox। अंत में, ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल/वेब एप्प की सुविधाओं को ध्यान में रखना चाहिए की वे कितने यूजर फ़्रेंडली है । इन सभी बिंदुओं पर विचार करके सही डिमैट अकाउंट का चयन किया जा सकता है या आप डिस्काउंट ब्रोकर comparison के लिए Finology के साइट मे जा सकते है ।

2. विविधता बनाए रखें यानि एक ही स्टॉक मे सारा पैसा ना लगाए :

सबसे पहले, अपने पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखना बहुत जरूरी है।

“Don’t Put All your Eggs in One Basket”

Novel “Don Quixote”

यानि एक ही क्षेत्र या एक ही प्रकार के शेयरों में निवेश न करें। इससे यदि एक क्षेत्र या शेयर खराब प्रदर्शन करता है तो आपका संपूर्ण निवेश प्रभावित नहीं होगा। उदाहरण के लिए, अगर आपने केवल बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में निवेश किया और वह क्षेत्र खराब प्रदर्शन करता है तो आपको भारी नुकसान होगा। लेकिन अगर आपने विभिन्न क्षेत्रों जैसे बैंकिंग, आईटी, ऑटोमोबाइल आदि में निवेश किया होगा तो संपूर्ण पोर्टफोलियो इतना प्रभावित नहीं होगा।

3. समय के साथ बढ़ती कंपनियों में निवेश करें :

हमे ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहिए जो समय के साथ बढ़ रही हों। कंपनियों के पिछले 5 साल या अधिक के प्रदर्शन का विश्लेषण करें। जो कंपनियाँ सतत रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रही हों और मजबूत नींव पर हों, उनमें निवेश करना चाहिए। ऐसी कंपनियों के शेयर लंबे समय तक अच्छा रिटर्न देंगे।उदाहरण के लिए, एशियन पेंट्स, बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां पिछले कई वर्षों से लगातार बढ़ रही हैं। ऐसी कंपनियों को पहचान कर उनमें निवेश एक अच्छा विकल्प है।

4. धीरे-धीरे निवेश करें :

अगला महत्वपूर्ण टिप है कि एक साथ बड़ी रकम निवेश ना करें। बल्कि, धीरे-धीरे और कई चरणों में निवेश करें। मिसाल के लिए, अगर आपके पास 1 लाख रुपये निवेश के लिए हैं तो उसे 6 महीने में बांटकर निवेश करें। ऐसा करने से बाजार में उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम होगा और आपको औसत लागत पर खरीदने का मौका मिलेगा।

5. स्टॉप-लॉस लगाएं :

स्टॉप लॉस एक ऐसी रणनीति है जिसके द्वारा ट्रेडर्स अपने निवेश के नुकसान की सीमा तय करते हैं। यह शेयर बाजार में निवेश करते समय बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।

स्टॉप लॉस को इस तरह से समझा जा सकता है:

  • यह एक पहले निर्धारित price है जिस पर ट्रेडर अपने शेयरों को बेचने का फैसला करता है।
  • यदि किसी शेयर का मूल्य इस स्टॉप लॉस मूल्य से नीचे जाता है तो शेयर बेच दिया जाता है।
  • इससे आगे के नुकसान से बचा जा सकता है। मुख्यत स्टॉप लॉस ट्रैडिंग मे ज्यादा use किया जाता है ।

स्टॉप लॉस का उपयोग इसलिए महत्वपूर्ण है:

  • यह बड़े नुकसान से बचाता है, जिससे हमारा फंड बचा रह सके जिसे हम दूसरे अच्छे स्टॉक खरीद सके ।
  • यह भावनात्मक निर्णय लेने से रोकता है जैसे गिरते बाजार में भी शेयर रखना।
  • यह अनुशासन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह लाभ लेने देता है लेकिन नुकसान को सीमित रखता है।
  • इससे पोर्टफोलियो के जोखिम को कम किया जा सकता है।

इसलिए, हर ट्रेडर को अपने निवेश के लिए स्टॉप लॉस लेवल तय करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। यह दीर्घकालिक सफलता के लिए बहुत जरूरी है।

6. ट्रेंड को समझे और फॉलो करे :

शेयर बाजार में सफल होने के लिए ट्रेंड को समझना और उसका फॉलो करना बहुत ज़रूरी है। ट्रेंड एक ऐसी स्थिति है जब किसी शेयर या बाज़ार की कीमत में लगातार वृद्धि या कमी देखी जाती है।

शेयर बाजार में मुख्य रूप से 3 प्रकार के ट्रेंड्स होते हैं:

  • अपट्रेंड (Uptrend) : जब शेयर की कीमतों में लगातार वृद्धि होती है तो इसे अपट्रेंड कहते हैं। यह एक पॉजिटिव ट्रेंड होता है जिसमें शेयर की कीमतें हाईर हाई और हाईर लो बनाती जाती हैं।
  • डाउनट्रेंड (Downtrend) : जब शेयर की कीमतों में गिरावट आती है तो इसे डाउनट्रेंड कहते हैं। यह एक नेगेटिव ट्रेंड होता है जिसमें शेयर की कीमतें लोअर हाई और लोअर लो बनाती जाती हैं।
  • रेंज बाउंड मार्केट (Range Bound Market) : जब शेयर की कीमत एक तय रेंज में रहती है और न तो महत्वपूर्ण वृद्धि और न ही गिरावट आती है तो इसे रेंज बाउंड या Sideways मार्केट कहते हैं। यह स्थिर रहने वाला ट्रेंड होता है।

इन ट्रेंड की पहचान करके ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटजी तय कर सकते हैं और लाभ कमा सकते हैं। ट्रेंड को समझने के लिए तकनीकी विश्लेषण और चार्ट्स का अध्ययन करना ज़रूरी है। मूविंग एवरेज, सपोर्ट और रेज़िस्टेंस लेवल जैसे तकनीकी इंडिकेटर्स से ट्रेंड की दिशा का पता लगाया जा सकता है। ट्रेंड का पता लगाने के बाद उसके साथ चलना चाहिए, न कि उसके विरुद्ध। बुलिश ट्रेंड के साथ खरीदारी और बेअरिश ट्रेंड में बिकवाली करनी चाहिए। रिवर्स ट्रेंड फॉलो करना नुकसानदायक हो सकता है। ट्रेंड फॉलो करते समय स्टॉप लॉस लगाना न भूलें ताकि बाज़ार में अचानक उतार-चढ़ाव से बचा जा सके। ट्रेंड बदलने पर तुरंत पोज़ीशन बंद कर दें। इस प्रकार, ट्रेंड की पहचान कर, उसके साथ चलकर और स्टॉप लॉस का उपयोग करके ट्रेडर लंबे समय तक लाभ कमा सकते हैं। ट्रेंड ही एक सफल ट्रेडर का सबसे बड़ा हथियार होता है।

7. इमोशनल निर्णय से बचें :

शेयर बाजार में सफल होने के लिए सबसे जरूरी है कि निवेशक या ट्रैडर भावनात्मक निर्णयों से बचे। बाजार की हालत, मीडिया रिपोर्ट्स , Watts up या Telegram Groups और दोस्तों की सलाह से प्रभावित होकर जल्दबाजी में निर्णय ना लें। उधारण के लिए मान लीजिए आप ने कोई स्टॉक 100 Rs के भाव मे खरीदा है और दो दिन बाद उसका भाव गिरके 80 Rs हो गया है और आप फिर भी उसे होल्ड कर के रखते है , फिर अगले दिन वो और गिरके 50 Rs मे पहुँच जाता है , फिर भी आप उसे ये सोच के होल्ड करते है की आगे उसका Price बड़ेगा पर वो बड़ता नहीं है और हमारा पूरा पैसा उसमे फंस रह जाता है , यही Emotion है । इसलए आपको हर निर्णय Fundamental और Technical Analysis पर ही आधारित होना चाहिए।

8. स्टॉक का Fundamental और Technical Analysis जरूर करे :

शेयर बाजार में सफल होने के लिए स्टॉक के फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण दोनों ही बेहद ज़रूरी हैं। स्टॉक का फंडामेंटल विश्लेषण कंपनी के पिछले प्रदर्शन, आय, मुनाफे, प्रबंधन आदि का विश्लेषण करता है। यह जानने के लिए कि कंपनी का भविष्य कैसा रहेगा फंडामेंटल विश्लेषण बेहद ज़रूरी है। तकनीकी विश्लेषण शेयर की कीमतों और ट्रेडिंग पैटर्न का विश्लेषण करता है। यह ट्रेंड, वॉल्यूम आदि को देखकर शेयर की दिशा और गति का पता लगाने में मदद करता है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप Reliance Industries का शेयर खरीदने का विचार कर रहे हैं। ऐसे में आपको पहले Reliance Industries का फंडामेंटल विश्लेषण करना चाहिए। इसमें आप देखेंगे कि कंपनी का पिछला प्रदर्शन कैसा रहा है, इसकी आय और मुनाफा क्या है, प्रबंधन कितना कुशल है आदि। यह आपको कंपनी के फंडामेंटल्स का अच्छा अंदाजा देगा। उसके बाद आपको Reliance के शेयर का तकनीकी विश्लेषण करना चाहिए। यहां आप चार्ट पर कीमतों का पैटर्न, ट्रेंड लाइन, वॉल्यूम आदि देख सकते हैं। इससे शेयर की गति और दिशा का पता चलता है। इस तरह फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण दोनों करने से आपको शेयर खरीदने का बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी। आप जोखिम को कम कर सकेंगे और अच्छा रिटर्न हासिल कर सकेंगे।

स्टॉक के Fundamental और Technical Analysis के प्रकार हैं:

  • आर्थिक विश्लेषण (Economic Analysis) – यहां अर्थव्यवस्था, ब्याज दर, मुद्रास्फीति जैसे मैक्रोइकॉनॉमिक फैक्टर्स का विश्लेषण किया जाता है।
  • उद्योग विश्लेषण (Industry Analysis) – इसमें कंपनी के ऑपरेट होने वाले उद्योग की स्थिति और गतिशीलता की जाँच की जाती है।
  • कंपनी विश्लेषण (Company Analysis) – यहां कंपनी के व्यवसाय मॉडल, प्रबंधन, वित्तीय स्थिति आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
  • मूल्यांकन (Valuation) – इसमें कंपनी के शेयर का मूल्य निर्धारण किया जाता है, इसे P/E रेशियो, P/B रेशियो आदि के द्वारा किया जाता है ।
  • तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) – यहां शेयर के पिछले प्राइस ट्रेंड्स और ट्रेडिंग वॉल्यूम का विश्लेषण किया जाता है।
  • जोखिम विश्लेषण (Risk Analysis) – इसमें निवेश से जुड़े जोखिमों का आकलन किया जाता है।

9. चार्ट पैटर्न को समझे :

शेयर बाजार में चार्ट पैटर्न का अध्ययन करना बहुत जरूरी होता है। चार्ट पैटर्न से हमें किसी शेयर की Price गति और दिशा के बारे में महत्वपूर्ण सूचना मिलती है। चार्ट पर Price के ग्राफ के आकार से हमें जानकारी मिलती है कि कीमतों में कौन सी दिशा की गति हो रही है- ऊपर की ओर या नीचे की ओर। चार्ट पैटर्न से सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल का भी पता चलता है जो ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। चार्ट पैटर्न के अध्ययन से Price के रुझान, तेजी या मंदी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। इससे ट्रेडर्स को अपनी ट्रेडिंग रणनीति तैयार करने और सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। इसलिए चार्ट पैटर्न का अध्ययन बहुत ज़रूरी है। हलकी ये 100 % सही नहीं होते है फिर भी ट्रैडिंग मे काफी मददगार होते है ।

10. पेनी (PENNY) स्टॉक्स मे निवेश बिना सोचे -समझे निवेश न करे :

शेयर बाजार में पैसा कमाने की संभावनाओं से आकर्षित होकर, कई निवेशक पेनी स्टॉक में पैसा लगाने का फैसला करते हैं। पेनी स्टॉक वे शेयर हैं जो आम तौर पर प्रति शेयर ₹10 से कम की कीमत पर कारोबार करते हैं। हालांकि, पेनी स्टॉक में निवेश करने से पहले, निवेशकों को यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन स्टॉक में बहुत अधिक जोखिम हो सकता है। पेनी स्टॉक में निवेश के कई जोखिम हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • Low Liquidity: पेनी स्टॉक की Liquidity कम होती है, जिसका अर्थ है कि इन्हें खरीदना और बेचना मुश्किल हो सकता है।
  • कम जानकारी: पेनी स्टॉक वाली कंपनियों के बारे में जानकारी अक्सर सीमित होती है, जिससे निवेशकों के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि वे क्या खरीद रहे हैं।
  • फ्रॉड का खतरा: पेनी स्टॉक में धोखाधड़ी का खतरा अधिक होता है, क्योंकि इन स्टॉक का इस्तेमाल अक्सर फर्जी कंपनियों द्वारा निवेशकों से पैसा उगाहने के लिए किया जाता है।

11. शेयर बाजार के ऑपरेटर से बचे :

शेयर बाजार के ऑपरेटर ऐसे लोग होते हैं जो बाजार को अपने लाभ के लिए हेरफेर करने की कोशिश करते हैं। वे ऐसा फर्जी खबरें फैलाकर, स्टॉक की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ा या घटाकर करते हैं।

वे अक्सर छोटे शेयरों को मैनुपुलेट करके छोटे निवेशकों को नुकसान पहुंचाते हैं।

शेयर बाजार के ऑपरेटर से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • शेयर बाजार के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करें– शेयर बाजार में निवेश करने से पहले, शेयर बाजार के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करें। इससे आपको शेयर बाजार के जोखिमों को समझने में मदद मिलेगी और आप ऑपरेटरों के जाल में नहीं फंसेंगे।
  • भरोसेमंद ब्रोकर का चुनाव करें– एक भरोसेमंद ब्रोकर का चुनाव करें, जो आपको सही सलाह दे सके। एक अच्छा ब्रोकर आपको शेयर बाजार के जोखिमों और ऑपरेटरों के जाल के बारे में बताएगा।
  • अपने रिसर्च करें– किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले, अपने रिसर्च करें। कंपनी के वित्तीय विवरणों को देखें और कंपनी की भविष्य की संभावनाओं का आकलन करें।
  • अपने निवेश को विविधता प्रदान करें– अपने निवेश को एक ही शेयर या एक ही क्षेत्र में केंद्रित न करें। अपने निवेश को विविधता प्रदान करने से आप जोखिम को कम कर सकते हैं।
  • अपने निवेश को लंबी अवधि के लिए रखें–  शेयर बाजार में निवेश करने के लिए लंबी अवधि की सोच रखें। शेयर बाजार में अल्पावधि में उतार-चढ़ाव होना स्वाभाविक है। इसलिए, अपने निवेश को लंबी अवधि के लिए रखें।

सावधानी बरतने से आप शेयर बाजार के ऑपरेटरों के जाल में नहीं फंसेंगे और अपना पैसा सुरक्षित रख सकेंगे।

12. IPO में निवेश से पहले कॉम्पनी को जाँचे :

जब भी कोई नई कंपनी अपने शेयरों को जनता के लिए बेचने का फैसला करती है, तो उसे आईपीओ यानी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (Initial Public Offering) के रूप में जाना जाता है। आईपीओ में निवेश करने के कई फायदे हैं, जैसे कि कंपनी के विकास में भागीदारी, लंबी अवधि में मुनाफा कमाना, और बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाना। हालांकि, आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आपके पैसे का नुकसान न हो।

कंपनी के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें। कंपनी क्या करती है, उसके पास क्या उत्पाद या सेवाएं हैं, उसका बाजार कैसा है, और उसके वित्तीय प्रदर्शन कैसा रहा है, इन सभी बातों को ध्यान से समझें।

कंपनी के प्रबंधन टीम की योग्यता और अनुभव देखें। एक अच्छी प्रबंधन टीम कंपनी की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। कंपनी के प्रबंधन के पास उद्योग में अनुभव होना चाहिए, और वह कंपनी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए।

आईपीओ के मूल्यांकन पर विचार करें। आईपीओ की कीमत कंपनी की भविष्य की संभावनाओं के आधार पर तय की जाती है। यदि आईपीओ की कीमत बहुत अधिक है, तो यह एक जोखिम भरा निवेश हो सकता है, इसलिए कॉम्पनी की रियल वैल्यू यानि Intrinsic Value का पता लगाए ।

अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता पर विचार करें। क्या आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, या आप जल्दी से मुनाफा कमाना चाहते हैं? क्या आप जोखिम लेने के लिए तैयार हैं, या आप सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं? अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर, आप तय कर सकते हैं कि कौन से आईपीओ में निवेश करना आपके लिए सही है।

अंत में, याद रखें कि आईपीओ में निवेश हमेशा जोखिम भरा होता है। बाजार की स्थिति, कंपनी की वित्तीय स्थिति, और अन्य कारकों के कारण आईपीओ के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसलिए, अपनी पूरी जांच-परख करने के बाद ही आईपीओ में निवेश करें।

13. अपने रिस्क मैनेजमेंट को समझे :

स्टॉक मार्केट में निवेश करना एक जोखिम भरा सौदा हो सकता है। शेयरों की कीमतें उतार-चढ़ाव के अधीन होती हैं, और निवेशक अपनी निवेश की पूरी राशि खो सकते हैं। स्टॉक रिस्क मैनेजमेंट के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, और इनमें से प्रत्येक के अपने फायदे और नुकसान हैं।

एक लोकप्रिय तकनीक विविधीकरण है। विविधीकरण का मतलब है कि आप अपनी निवेश पोर्टफोलियो में विभिन्न प्रकार के स्टॉक रखते हैं। इससे अगर किसी एक स्टॉक की कीमत गिरती है, तो आपके कुल पोर्टफोलियो पर इसका उतना अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिसे हमने 2 no मे समझ चुके है ।

एक अन्य तकनीक मार्जिन ट्रेडिंग से बचना है। मार्जिन ट्रेडिंग आपको स्टॉक खरीदने के लिए पैसे उधार लेने की अनुमति देती है। इससे आपके जोखिम बढ़ जाते हैं क्योंकि आपको स्टॉक की कीमत गिरने पर अधिक पैसे खोने का खतरा होता है। इसलिए इसे कभी भी नहीं use करना चाहिए ।

स्टॉप-लॉस ऑर्डर भी एक उपयोगी उपकरण हो सकता है। स्टॉप लॉस ऑर्डर है जो एक स्टॉक की कीमत एक निश्चित स्तर तक पहुंचने पर लागू होता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर आपको नुकसान को सीमित करने में मदद कर सकता है। इसे भी हमने 5 no मे जान चुके है |

स्टॉक रिस्क मैनेजमेंट एक जटिल विषय है, और कोई भी एक तकनीक सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। अपने जोखिम सहनशीलता और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर, आपको अपने लिए सबसे उपयुक्त तकनीकों का चयन करना होगा।

14. नियमित रूप से पोर्टफोलियो की समीक्षा करें :

अगला महत्वपूर्ण टिप यह है कि नियमित अंतराल पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें। किसी शेयर का प्रदर्शन खराब होने पर  उसके कारणों का पता लगाए क्या वो कॉम्पनी bankrupt हो रही है या कुछ नेगेटिव न्यूज के चलते उसके भाव गिर रहे है अगर वो bankrupt हो रही है तो तुरंत उसे बेच कर अपना नुकसान कम करें और अगर नेगेटिव न्यूज के कारण गिर रही है तो इंतेजार कर सकते है । साथ ही, अगर कोई नया अच्छा निवेश का अवसर मिलता है तो पोर्टफोलियो में उस शेयर को शामिल करें। इस प्रकार समय-समय पर पोर्टफोलियो का आकलन और समायोजन करते रहने से नुकसान को कम किया जा सकता है।

15. लालच और डर पर कंट्रोल करना सीखे :

ट्रेडिंग एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ भावनाएँ एक बड़ा रोल निभाती हैं। लालच और डर दो सबसे आम भावनाएँ हैं जो ट्रेडर्स को प्रभावित करती हैं। लालच उन्हें अधिक जोखिम लेने के लिए उकसाता है, जबकि डर उन्हें सही समय पर बाहर निकलने से रोकता है। दोनों भावनाएँ ट्रेडर्स को पैसे खोने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। लालच और डर पर कंट्रोल करना ट्रेडिंग में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको इन भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:

  • एक ट्रेडिंग रणनीति विकसित करें और उससे चिपके रहें। एक मजबूत ट्रेडिंग रणनीति आपको अपने भावनाओं से दूर रहने में मदद कर सकती है। इससे आपको यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि कब खरीदना और बेचना है, और यह आपको अपने जोखिम को प्रबंधित करने में मदद करेगा।
  • अपने लक्ष्यों और जोखिम को समझें। जब आप जानते हैं कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं और आप कितना जोखिम उठा सकते हैं, तो आप अपने निर्णयों को अधिक सही बना सकते हैं।
  • अपने भावनाओं को पहचानें और उन पर नियंत्रण रखें। जब आप ट्रेडिंग कर रहे हों, तो अपनी भावनाओं पर ध्यान दें। क्या आप लालची या डरे हुए महसूस कर रहे हैं? यदि आप ऐसा करते हैं, तो अपने निर्णय लेने से पहले एक मिनट रुकें और अपने भावनाओं को शांत करने का प्रयास करें।
  • एक ट्रेडिंग जर्नल रखें। अपनी व्यापारिक गतिविधियों को रिकॉर्ड करना आपको अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करने और अपनी गलतियों से सीखने में मदद कर सकता है। इससे आपको यह पहचानने में भी मदद मिलेगी कि आप किन भावनाओं से प्रभावित होते हैं।

FAQs (शेयर बाजार में नुकसान से बचने के टिप्स ) :

शेयर बाजार में नुकसान कैसे होता है?

जब किसी कंपनी के शेयरों की कीमत गिर जाती है तो शेयर बाजार में नुकसान होता है।

शेयर बाजार में नुकसान से बचने के लिए क्या करें?

डाइवर्सिफाइ करें, फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें, स्टॉप लॉस लगाएं और भावनात्मक निर्णय न लें।

शेयर बाजार में निवेश से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कंपनी के फंडामेंटल्स, बाजार की स्थिति और अपनी रिस्क लेने की क्षमता का आकलन पर ध्यान देना चाहिए ।

शेयर बाजार गिरने पर निवेशकों को क्या करना चाहिए?

शांत रहें, भावनात्मक निर्णय न लें और अपने निवेश को बनाए रखें। बाजार वापस उछलेगा।

स्टॉप लॉस क्या है और यह कैसे मदद करता है?

स्टॉप लॉस एक ऐसी रणनीति है जिसके द्वारा ट्रेडर्स अपने निवेश के नुकसान की सीमा तय करते हैं।

फंडामेंटली मजबूत कंपनियों में निवेश क्यों जरूरी है?

ऐसी कंपनियां बाजार के उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होती हैं और दीर्घकाल में अच्छा प्रदर्शन करती हैं।

ट्रेंडिंग के बजाय वैल्यू इन्वेस्टिंग क्यों बेहतर है ?

ट्रेंडिंग में जल्दी नुकसान हो सकता है जबकि वैल्यू इन्वेस्टिंग लंबी अवधि में सुरक्षित रहती है।

Conclusion :

इन 11 टिप्स को अपनाकर आप शेयर बाजार में निवेश करते समय जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। हालांकि, निवेश में जोखिम हमेशा रहता है, इसलिए न्यूज के अफवाओं में ना आकर अपने शेयर बाजार एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही निवेश करना चाहिए।
कभी भी लोन ले के ट्रैडिंग नहीं करनी चाहिए ये काफी नुकसानदायक हो सकता है ।

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2 thoughts on “शेयर बाजार में नुकसान से बचने के टिप्स | 15 Best Share Market Tips in Hindi”

  1. थैंक यू सर
    आपने शेयर मार्केट से नुकसान से बचने के लिए बहुत ही अच्छे से समजाया

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