म्यूचुअल फंड क्या है | म्यूचुअल फंड में निवेश के फायदे | म्यूचुअल फंड के नुकसान |
म्यूचुअल फंड आजकल निवेश करने का सबसे लोकप्रिय तरीका बन गया है। म्यूचुअल फंड में निवेश आम आदमी के लिए भी बहुत आसान हो गया है। म्यूचुअल फंड के जरिए आप अपनी छोटी-बड़ी बचत का निवेश कर के, लंबे समय में अच्छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले इसके बारे में सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। आइए पहले म्यूचुअल फंड के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं फिर हम 2023 मे 10 सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला म्यूच्यूअल फण्ड के बारे मे जानेंगे |
म्यूचुअल फंड क्या है !
- 1 म्यूचुअल फंड क्या है !
- 2 म्यूचुअल फंड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टर्म !
- 3 म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार
- 4 म्यूचुअल फंड में निवेश के फायदे :
- 5 म्यूचुअल फंड में निवेश करने के नुकसान :
- 6 म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें :
- 7 सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला म्यूच्यूअल फण्ड 2023 | Best Mutual Funds 2023 :
- 8 FAQ | सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला म्यूच्यूअल फण्ड 2023 :
- 9 निष्कर्ष
सरल शब्दों में कहें तो, म्यूचुअल फंड ऐसा निवेश है जहां कई लोग अपनी बचत इकट्ठा करके एक साथ निवेश करते हैं। इस तरह से एकत्रित पैसे को शेयर बाजार, बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज़ और अन्य वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स आदि जैसे विभिन्न विकल्पों में निवेश किया जाता है। ये निवेश प्रोफेशनल फंड मैनेजर की देखरेख में किए जाते हैं, जो इन निवेशों का प्रबंधन करते हैं ताकि निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सके। निवेश किए गए पैसे और उसपर हुए रिटर्न को यूनिट्स के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। निवेशक इन यूनिट्स की संख्या के आधार पर अपने रिटर्न का पता लगा सकते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय हमें कई तकनीकी और वित्तीय शब्दों का सामना करना पड़ता है। ये शब्द कई बार भ्रम पैदा कर सकते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले इन शब्दों और टर्मिनोलॉजी को समझना बहुत ज़रूरी है। आइए इन्हे समझते है |
म्यूचुअल फंड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टर्म !
1. एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC)
एसेट मैनेजमेंट कंपनी वह कंपनी होती है जो म्यूचुअल फंड का प्रबंधन (Manage) करती है। ये कंपनियां म्यूचुअल फंड की योजना बनाती हैं, उन्हें लॉन्च करती हैं और फंड के पोर्टफोलियो का प्रबंधन करती हैं।
2. नेट एसेट वैल्यू (NAV)
NAV का मतलब नेट एसेट वैल्यू है। यह एक म्यूचुअल फंड स्कीम की प्रति यूनिट कीमत है। NAV को दिन के अंत में, स्कीम की SECURITIES के मार्केट मूल्य के आधार पर, कुल व्यय का उचित समायोजन करने के बाद, कुल यूनिट की संख्या से विभाजित करके गणना की जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी म्यूचुअल फंड में 1000 रुपये की संपत्ति है और 100 रुपये के बकाया शेयर है, तो NAV 10 रुपये प्रति शेयर होगा। NAV म्यूचुअल फंड की प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। NAV जितना अधिक होगा, म्यूचुअल फंड उतना ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा होगा। NAV निवेशकों को यह तय करने में मदद करता है कि कब म्यूचुअल फंड खरीदें या बेचें। उदाहरण के लिए, यदि NAV बढ़ रहा है, तो निवेशक म्यूचुअल फंड खरीदने पर विचार कर सकते हैं। यदि NAV घट रहा है, तो निवेशक म्यूचुअल फंड बेचने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि NAV म्यूचुअल फंड के भविष्य के प्रदर्शन की कोई गारंटी नहीं है।
3. एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio) !
एक्सपेंस रेश्यो एक अनुपात है जो म्यूचुअल फंड के प्रबंधन पर आने वाले खर्च को प्रति यूनिट के रूप में बताता है। किसी म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो निकालने के लिए उसकी कुल संपत्ति (एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM) में कुल खर्च से भाग दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी म्यूचुअल फंड का AUM 100 करोड़ रुपये है और कुल खर्च 1 करोड़ रुपये है। तो, उस फंड का एक्सपेंस रेश्यो 1% होगा। इसका मतलब है कि हर साल, फंड का 1% हिस्सा खर्चों के लिए निकाला जाएगा। एक्सपेंस रेश्यो एक महत्वपूर्ण कारक है जिस पर म्यूचुअल फंड चुनते समय विचार करना चाहिए। कम एक्सपेंस रेश्यो वाला फंड अधिक रिटर्न उत्पन्न करने की संभावना रखता है क्योंकि अधिक पैसे निवेशकों के लिए उपलब्ध होते हैं।
एक्सपेंस रेश्यो में निम्नलिखित खर्च शामिल होते हैं:
- फंड मैनेजमेंट फीस: यह फंड मैनेजर को भुगतान की जाने वाली फीस है।
- मार्केटिंग एण्ड डिस्ट्रब्यूशन चार्जेस : यह म्यूचुअल फंड को बेचने और वितरित करने के लिए भुगतान की जाने वाली फीस है।
- अन्य खर्च: इसमें निवेश रिसर्च, प्रशासन, और अन्य खर्च शामिल हैं।
म्यूचुअल फंडों के एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर 1% से 2% के बीच होते हैं। हालांकि, कुछ फंडों का एक्सपेंस रेश्यो 3% या उससे अधिक हो सकता है। इसलिए हमे कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंडों मे ही निवेश करना चाहिए | इसके लिए हमे रेगुलर फंड के बजाए डायरेक्ट फंड वाले म्यूचूअल फंड चुनना चाहिए |
4. रिस्क प्रोफाइल (Risk Profile) !
हर म्यूचुअल फंड की अपनी रिस्क प्रोफाइल होती है जो इस बात का अंदाज़ा लगाती है कि निवेश में कितना जोखिम शामिल है। जितनी हाई रिस्क प्रोफाइल उतना ही अधिक पोटेंशियल रिटर्न।
5. एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) !
एसेट एलोकेशन यानि म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के विभिन्न एसेट क्लास जैसे इक्विटी, डेट आदि में निवेश के अनुपात से है। यह फंड के जोखिम प्रोफाइल को तय करता है।
6. एंट्री लोड (Entry Load) !
एंट्री लोड तब लगता है जब आप एक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं | एंट्री लोड एक प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है, और यह आपके द्वारा निवेश किए गए धन के एक हिस्से के रूप में लिया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि आप एक म्यूचुअल फंड में 10,000 रुपये निवेश करते हैं और प्रवेश शुल्क 2% है, तो आपको 200 रुपये प्रवेश शुल्क देना होगा| भारत में, एंट्री लोड अब वैकल्पिक है. सितंबर 2009 में, SEBI (सेबी) ने सभी नए म्यूचुअल फंडों के लिए एंट्री लोड को वैकल्पिक बना दिया. हालांकि, कुछ पुराने म्यूचुअल फंड अभी भी एंट्री लोड लेते हैं|
7. एग्जिट लोड (Exit Load ) !
एग्जिट लोड तब लगता है जब आप एक म्यूचुअल फंड से निवेश निकालते हैं| एग्जिट लोड भी एक प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है, और यह आपके द्वारा निकाले गए धन के एक हिस्से के रूप में लिया जाता है| उदाहरण के लिए, यदि आप एक म्यूचुअल फंड से 10,000 रुपये निकालते हैं और निकास शुल्क 1% है, तो आपको 100 रुपये निकास शुल्क देना होगा. एग्जिट लोड अभी भी वैकल्पिक है. कुछ म्यूचुअल फंडों में कोई एग्जिट लोड नहीं है, जबकि अन्य में 1% तक है.
म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार
- इक्विटी फंड (Equity Fund) :– एक्विटी फंड ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं जो मुख्य रूप से शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं। इनमें जोखिम अधिक होता है लेकिन लंबे समय में रिटर्न भी ज्यादा मिल सकता है।
- डेट फंड (Debt Fund) :- डेट फंड वे म्यूचुअल फंड होते हैं जो कंपनी के बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज़, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि में निवेश करते हैं। ये कम जोखिम लेकिन कम रिटर्न वाले माने जाते हैं।
- हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) :- ये फंड इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं। इनमें कुछ जोखिम होता है लेकिन रिटर्न भी बेहतर होता है।
- लिक्विड फंड (liquid fund ) :– ये फंड कम जोखिम वाले लेकिन तरल निवेश विकल्पों जैसे बैंक एफडी, सरकारी बॉन्ड आदि में निवेश करते हैं।
- टैक्स सेविंग फंड (Tax Saving Fund):– ये फंड टैक्स बचत पर ध्यान केंद्रित करते हैं और 80सी, 80डी आदि के तहत निवेश कराते हैं।
म्यूचुअल फंड में निवेश के फायदे :
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:-
- विविधता (Diversity) – म्यूचुअल फंड के जरिए आप अपनी बचत का निवेश विभिन्न प्रकार के इंस्ट्रूमेंट जैसे इक्विटी, डेट, गोल्ड आदि में कर सकते हैं। इससे आपका निवेश विविधतापूर्ण और जोखिम में कम होता है।
- प्रोफेशनल मैनेजमेंट – म्यूचुअल फंड का प्रबंधन प्रोफेशनल फंड मैनेजर करते हैं जो बाजार की स्थिति को समझकर निवेश का निर्णय लेते हैं। आम निवेशक के लिए यह फायदेमंद होता है।
- रेगुलर रिटर्न – म्यूचुअल फंड से आपको नियमित अंतराल पर रिटर्न मिलता रहता है क्योंकि फंड मैनेजर नियमित रूप से निवेश पर आए रिटर्न को यूनिट धारकों के बीच वितरित करते रहते हैं।
- लिक्विडिटी – म्यूचुअल फंड की यूनिटें आसानी से बेची और खरीदी जा सकती हैं। इसलिए, आपको अपने निवेश को नकद में बदलने में कोई दिक्कत नहीं होती।
- रेग्युलेशन – म्यूचुअल फंड SEBI द्वारा नियमित और निगरानी में रखा जाता है। इसलिए निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के नुकसान :
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कुछ नुकसान भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मार्केट रिस्क: म्यूचुअल फंडों का प्रदर्शन शेयर बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है। इसलिए, अगर शेयर बाजार में गिरावट होती है, तो आपके म्यूचुअल फंड की कीमत भी गिर सकती है।
- एक्सपेंस रेश्यो: म्यूचुअल फंडों में कुछ खर्च होते हैं, जिन्हें एक्सपेंस रेश्यो के रूप में जाना जाता है। यह आपके निवेश पर एक कटौती है।
- टैक्स : म्यूचुअल फंड से मिलने वाले निवेश आय पर TAX देना पड़ता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें :
- एक डीमैट खाता खोलें: म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाता खोलना होगा। एक डीमैट खाता एक ऐसा खाता है जिसमें आप अपने शेयरों और अन्य इन्स्ट्रूमेंट्स को रखते हैं।
- एक म्यूचुअल फंड कंपनी चुनें: भारत में कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं। आपको एक ऐसी कंपनी चुननी चाहिए जो आपके निवेश लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुरूप हो।
- एक म्यूचुअल फंड स्कीम चुनें: एक म्यूचुअल फंड कंपनी कई प्रकार की स्कीम प्रदान करती है। आपको एक ऐसी स्कीम चुननी चाहिए जो आपके वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप हो।
- अपने निवेश को शुरू करें: आप एकमुश्त यानि LUMSUM निवेश कर सकते हैं या एक आवर्ती निवेश योजना यानि SIP से सुरुआत कर सकते है |
आज के समय मे बहुत सारे ऐसे डिस्काउंट ब्रोकर जैसे GROWW, ZERODHA का COIN, UPTOX उपलब्द है जहां आसानी से DEMAT अकाउंट खोल के आप म्यूचूअल फंड मे निवेश स्टार्ट कर सकते है |
आईए अब 2023 सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला म्यूच्यूअल फण्ड को देखते है !
सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला म्यूच्यूअल फण्ड 2023 | Best Mutual Funds 2023 :
- ICICI Pru Overnight Fund
- Quant Small Cap Fund
- Nippon India Small Cap Fund
- HSBC Small Cap Fund
- HDFC Small Cap Fund
- Tata Small Cap Fund
- ICICI Pru Smallcap Fund
- Franklin India Smaller Cos Fund
- Canara Rob Small Cap Fund
- SBI Contra Fund
Declaration:- ऊपर दिए गए म्यूचूअल फंड 2023-SEP मे 3Y-CAGR के आधार पे दिए गए है और ये जरूरी नहीं है आगे भी ये इतने ही रिटर्न देंगे , इसलिए निवेश संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना न भूलें। हम सेबी पंजीकृत सलाहकार नहीं हैं, हमारा उद्देश्य केवल लोगों को म्यूचूअल फंड से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करना है।
FAQ | सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला म्यूच्यूअल फण्ड 2023 :
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म्यूचुअल फंड में Nav का मतलब क्या होता है?
NAV का मतलब नेट एसेट वैल्यू है। यह एक म्यूचुअल फंड स्कीम की प्रति यूनिट कीमत है। NAV को दिन के अंत में, स्कीम की SECURITIES के मार्केट मूल्य के आधार पर, कुल व्यय का उचित समायोजन करने के बाद, कुल यूनिट की संख्या से विभाजित करके गणना की जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी म्यूचुअल फंड में 1000 रुपये की संपत्ति है और 100 रुपये के बकाया शेयर है, तो NAV 10 रुपये प्रति शेयर होगा। -
Exit Load क्या होता है?
एग्जिट लोड तब लगता है जब आप एक म्यूचुअल फंड से निवेश निकालते हैं| एग्जिट लोड भी एक प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है, और यह आपके द्वारा निकाले गए धन के एक हिस्से के रूप में लिया जाता है| उदाहरण के लिए, यदि आप एक म्यूचुअल फंड से 10,000 रुपये निकालते हैं और निकास शुल्क 1% है, तो आपको 100 रुपये निकास शुल्क देना होगा.
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म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट कैसे करे?
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म्यूचुअल फंड में निवेश करने के नुकसान क्या है ?
मार्केट रिस्क: म्यूचुअल फंडों का प्रदर्शन शेयर बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है। इसलिए, अगर शेयर बाजार में गिरावट होती है, तो आपके म्यूचुअल फंड की कीमत भी गिर सकती है।
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एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio) क्या होता है ?
एक्सपेंस रेश्यो एक अनुपात है जो म्यूचुअल फंड के प्रबंधन पर आने वाले खर्च को प्रति यूनिट के रूप में बताता है। किसी म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो निकालने के लिए उसकी कुल संपत्ति (एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM) में कुल खर्च से भाग दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी म्यूचुअल फंड का AUM 100 करोड़ रुपये है और कुल खर्च 1 करोड़ रुपये है। तो, उस फंड का एक्सपेंस रेश्यो 1% होगा। इसका मतलब है कि हर साल, फंड का 1% हिस्सा खर्चों के लिए निकाला जाएगा। -
एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) क्या होता है ?
एसेट मैनेजमेंट कंपनी वह कंपनी होती है जो म्यूचुअल फंड का प्रबंधन (Manage) करती है। ये कंपनियां म्यूचुअल फंड की योजना बनाती हैं, उन्हें लॉन्च करती हैं और फंड के पोर्टफोलियो का प्रबंधन करती हैं।
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म्यूचुअल फंड क्या है ?
सरल शब्दों में कहें तो, म्यूचुअल फंड ऐसा निवेश है जहां कई लोग अपनी बचत इकट्ठा करके एक साथ निवेश करते हैं। इस तरह से एकत्रित पैसे को शेयर बाजार, बॉन्ड, सरकारी सिक्योरिटीज़ और अन्य वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स आदि जैसे विभिन्न विकल्पों में निवेश किया जाता है। ये निवेश प्रोफेशनल फंड मैनेजर की देखरेख में किए जाते हैं, जो इन निवेशों का प्रबंधन करते हैं ताकि निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सके।
निष्कर्ष
अंत मे मै यही कहना चाहूँगा की म्यूचुअल फंड में निवेश वर्तमान में एक सुरक्षित और आसान तरीका है | अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करके और नियमित रूप से निवेश करके लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। ज्यादा रिटर्न देने वाले फंड के पीछे न जा के जो Consistent Performance वाले फंड है उसमे इनवेस्टमेंट करना ज्यादा अच्छा है | Consistent Performance वाले फंड के बारे मे हम आगे के आर्टिकल मे विस्तार से बात करेंगे |